आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे कभी कभी इत्तेफ़ाक से, कितने अनजान लोग मिल जाते हैं उन में से कुछ लोग भूल जाते हैं, कुछ याद रह जाते हैं आवाज़ की दुनियाँ के दोस्तों कल रात किसी जगह पर मुझ को किस कदर ये हसीन ख़याल मिला है राह में एक रेशमी रुमाल मिला है जो गिराया था किसी ने जानकर जिसका हो ले जाये वो पहचानकर वर्ना मैं रख लूँगा उसको अपना जानकर किसी हुस्नवाले की निशानी मानकर हँसते गाते लोगों की बातों ही बातों में कभी कभी एक मज़ाक से कितने जवान किस्से बन जाते हैं उन क़िस्सों में चंद भूल जाते हैं, चंद याद रह जाते हैं तकदीर मुझ पे मेहरबान है जिस शोख की ये दास्तान है उसने भी शायद ये पैगाम सुना हो मेरे गीतों में अपना नाम सुना हो दूर बैठी ये राज वो जान ले मेरी आवाज़ को पहचान ले काश फिर कल रात जैसी बरसात हो और मेरी उसकी कही मुलाकात हो लंबी लंबी रातों में नींद नहीं जब आती कभी कभी इस फिराक से कितने हसीन ख्वाब बन जाते हैं उनमे से कुछ ख्वाब भूल जाते हैं,कुछ याद रह जाते हैं
Thursday, 18 June 2015
आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे
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